देवी भगवती के भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से पूजा के अलावा उनके प्रिय पकवानों का भोग लगाते हैं, दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं ताकि माता रानी प्रसन्न होकर हमारी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर दें। इसके अलावा, पूजा के दौरान हर दिन मां दुर्गा की आरती की जाती है। शास्त्रों में मां दुर्गा की आरती करने के कुछ नियम बताए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति इन नियमों के अनुसार आरती करता है तो उसे सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। आइये जानते हैं दुर्गा माता की आरती का महत्त्व क्या है, आरती के समय क्या काम ज़रूर करना चाहिए और आरती में क्या-क्या वस्तुएं अवश्य रखनी चाहियें।
दुर्गा माँ की आरती का महत्त्व (Maa Durga ji ki Aarti ka Mahatva)
दुर्गा पूजा के दौरान पूजा के बाद आरती करनी चाहिए। आरती के बिना सेवा अधूरी मानी जाती है। मां दुर्गा की पूजा में आरती का विशेष महत्व है। उत्तर स्कंद पुराण में कहा गया है: यदि कोई व्यक्ति पूजा का मंत्र और विधि नहीं जानता है, लेकिन आरती करता है, तो देवी-देवता उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार करते हैं। इसलिए सभी देवी-देवताओं की स्तुति के लिए आरती की जाती है।
आरती का धार्मिक महत्व के अलावा वैज्ञानिक महत्व भी है। जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है तो हवा में एक अद्भुत सुगंध भर जाती है। इससे वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। ऐसा माना जाता है कि जब देवी भगवती का ध्यान करने के बाद शंख और घंटियों की ध्वनि के साथ आरती की जाती है तो मन का द्वंद्व समाप्त हो जाता है और हमारे शरीर में आत्मा जागृत हो जाती है, जिससे मन और शरीर ऊर्जा से भरपूर हो जाते हैं। और आपको अपनी माँ का आशीर्वाद प्राप्त होने का एहसास होता है।
श्री दुर्गा जी की आरती (Maa Durga Aarti Lyrics in Hindi)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
आरती में रखें ये वस्तुएं
माता की आरती के लिए थाली में घी का दीपक जलाएं और उसमे लौंग और कपूर डालें। माना जाता है कि लौंग और कपूर के इस्तेमाल से देवी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और आपका घर खुशियों से भर देती हैं।
पूजा में लाल रंग की बत्ती दीपक में रखने का प्रयास करें। इसके लिए आप कलावा या मौली का प्रयोग कर सकते हैं। यदि आपके पास मौली नहीं है तो दीपक में थोड़ा केसर या सिंदूर डाल दें। मान्यता है कि लाल रंग मंगल ग्रह से जुड़ा है। ऐसी बत्ती जलाने से घर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं, सभी प्रकार के रोग, दोष और भय दूर हो जाते हैं।
घी के लिए आप शुद्ध देसी या गाय के घी का इस्तेमाल करें। ऐसा माना जाता है कि इससे सौभाग्य, धन और समृद्धि के साथ-साथ समाज में सम्मान भी मिलता है। घी का संबंध बृहस्पति और सूर्य से है, जिससे दोनों ग्रहों की स्थिति आपके लिए अधिक अनुकूल हो जाती है। इसलिए मां दुर्गा की आरती में हमेशा शुद्ध घी का ही प्रयोग करें।
लौंग और घी को एकसाथ प्रज्वलित से आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इससे मां दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है। कपूर के धुएं का घर के सभी सदस्यों के जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मान्यताओं के अनुसार लौंग और कपूर का संबंध देवी लक्ष्मी से माना जाता है। इस तरह, आप न केवल अपनी संपत्ति बढ़ाते हैं, बल्कि वित्तीय लाभ भी प्राप्त करते हैं। लौंग और कपूर से आपके और आपके परिवार के अन्य सदस्यों पर देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।
आरती के बाद ज़रूर करें ये काम (Maa Durga Aarti Niyam)
जब आप इन चार चीजों को मिलाकर देवी की आरती करें तो इस दीपक को एक थाली में रखें और तुलसी मैया को दिखाएं। इस तरह विष्णु जी की कृपा भी आपको मिलेगी। साथ ही घर के हर कमरे और कोने में आरती रखें। इस तरह घर से सारी नकारात्मकता दूर हो जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा का वास हो जाएगा। इस प्रकार आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा के अलावा मंत्र, चालीसा और स्तुतियों का जाप भी करना चाहिए। साथ ही अंत में विधि-विधान से आरती करनी चाहिए। शास्त्रों में देवी-देवताओं की पूजा के अंत में आरती करना जरूरी माना गया है क्योंकि तभी पूजा पूरी होती है। मां दुर्गा की आरती करते समय नियमों का पालन करना जरूरी है। इस प्रकार माता की कृपा से आपको सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होंगी।
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