हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। शास्त्र कहते हैं कि अमावस्या तिथि पर पवित्र स्नान करने से बहुत लाभकारी प्रभाव पड़ता है। इस खास दिन पर गंगा नदी में स्नान और पितरों का तर्पण करने से विशेष लाभ मिलता है और अमृत के समान फल की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर श्रद्धालु गंगा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, सरस्वती और नर्मदा नदियों में आस्था के साथ डूबकी लगाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में मौनी अमावस्या की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है।
कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान, ध्यान और भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सौ यज्ञों के बराबर फल मिलता है और साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में शास्त्रीय विधि से पूजा तथा स्नान एवं तर्पण के समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। इस लेख में हम आपके लिए कुछ विशेष मंत्र लाये हैं जिन्हें आप स्नान एवं तर्पण के समय जप सकते हैं। साथ ही आप यह भी जानेंगे की मौनी अमावस्या की पूजा किस विधि से की जाएगी और पूजा सामग्री क्या रहेगी।
मौनी अमावस्या 2024 (Mauni Amavasya 2024 in Hindi)
मौनी अमावस्या 9 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है । यह योग सुबह 7:05 बजे से शुरू हो रहा है जो देर रात 11:29 तक रहने वाला है। श्रध्हालू जन प्रातः काल में स्नान-ध्यान पूजा जप, तपस्या और दान-पुण्य आदि कर सकते हैं। किसी कारणवश यदि सुबह में पूजा-पाठ नहीं कर पाते हैं तो दोपहर के समय में भी कर सकते हैं।
मौनी अमावस्या पूजा की सामग्री (Mauni Amavasya Puja Samagri 2024)
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है और उसमें निम्नलिखित सामग्रियों का प्रयोग होता है –
- दीपक
- घी
- पुष्प
- फल
- पंचामृत
- कुमकुम
- चन्दन
- अक्षत
- काले तिल
- गंगा जल और जल पात्र
- 5 मिट्टी के दीपक
- रुई की बाती
- धुप और अगरबत्ती आदि।
मौनी अमावस्या पूजा विधि (Mauni Amavasya Puja Vidhi 2024)
- मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सर्वप्रथम भगवान विष्णु की पूजा करें। इस समय मन ही मन उनकी आराधना करें।
- मौनी अमावस्या के दिन बातचीत करना वर्जित है। इसलिए मौन व्रत का पालन करें। अपने दैनिक क्रियाओं से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाएं।
- यथासंभव इस समय काले तिल, 5 लाल गुलाब और 5 जलते हुए दीपक जल की धारा में प्रवाहित करें।
- अब भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य दें। अर्घ्य देने से पहले जल में तिल अवश्य मिला लें।
- इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पितरों को जल तर्पण करें और बताये गए विशिष्ट मन्त्रों का जाप करें । इस दिन पीपल के पेड़ पर जल भी चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और कुमकुम, अक्षत, चन्दन, पुष्प, फल, पंचामृत आदि अर्पित करें।
- इस समय विष्णु चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें।
- पूजा के अंत में आरती करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें तथा अज्ञानतावश हुए अपराधों के लिए क्षमा मांगें।
- पूजा और दान (जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, कंबल, काले तिल आदि का दान) के बाद अपना मौन व्रत तोड़ें।
- दिन में किसी भी समय शनिदेव को सरसों का तेल अवश्य चढ़ाएं।
मौनी अमावस्या पूजा मंत्र (Mauni Amavasya Puja Mantra 2024)
मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने की परंपरा है और साथ ही पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा भी है। परंपरा के अनुसार नीचे कुछ मंत्र दिए गए हैं जिनका आप जाप कर सकते हैं।
- स्नान करते समय इन मंत्र का जाप करें –
ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः।।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
- सूर्य देव कोअर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करें –
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशे जगत्पते। अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।।
- पिता एवं दादा जी का तर्पण करते समय इस मंत्र को बोलें –
गोत्रे अस्मत्पितामह (पिता व दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।।
- माता व दादी जी का तर्पण करते समय इस मंत्र का जाप करें –
गोत्रे अस्मन्माता (माता व दादी जी का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।।
मौनी अमावस्या सभी अमावस्या तिथियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखना बहुत शुभ होता है। इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। जो लोग पवित्र नदी में स्नान करने जाने में असमर्थ हैं वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसके अलावा अमावस्या के दिन तिल के लड्डू, तिल का तेल, तिल, वस्त्र और आंवला दान करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन पितृ तर्पण करना भी शुभ होता है।
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