इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 21 जनवरी दिन रविवार को रखा जाएगा। इस दिन व्रती को भगवान विष्णु की पूजा करते हुए पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करना या सुनना चाहिए। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के उपलक्ष्य में रखा जाता है। यह व्रत उन लोगों को करना चाहिए जिनके संतान नहीं है। श्री नारायण की महिमा से हर संकट दूर हो जाता है, श्रीहरि की कृपा से सभी दोष दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। संतान सुख की कामना के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष माना जाता है। ऐसे में इस दिन बनने वाले दुर्लभ संयोग से व्रती को व्रत और पूजा का दोगुना फल मिलेगा।
पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन आप कुछ ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं जो आपके काम आ सकते हैं। इससे पूर्व हम पौष पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त,महत्त्व, लाभ, व्रत कथा आदि के विषय में जानकारी दे चुके हैं। आज के लेख में आप पौष पुत्रदा एकादशी पर किये जाने वाले कुछ ख़ास उपायों के बारे में जानेंगे।
हरिवंश पुराण का श्रवण करें
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पति-पत्नी को एक साथ व्रत करना चाहिए। घर में हरिवंश पुराण का श्रवण करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरिवंश पुराण सुनने से भगवान श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है, जिससे संतान की प्राप्ति होती है। महाभारत के अंतिम पर्व को हरिवंश पर्व या हरिवंश पुराण कहा जाता है।
संतान गोपाल मंत्र का जाप करें (Pausha Putrada Ekadashi Mantra)
पुत्रदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है। द्वापर युग में उन्होंने श्रीकृष्ण का अवतार लिया। पुत्रदा एकादशी के दिन आपको पूजा के दौरान संतान गोपाल मंत्र का पांच माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से नि:संतान दंपत्तियों की मनोकामना पूरी हो सकती है।
ओम देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
पौष पुत्रदा एकादशी उपाय (Pausha Putrada Ekadashi Upay 2024)
केले के पौधे की पूजा
पुत्रदा एकादशी के अलावा गुरुवार का व्रत करना चाहिए और केले के पौधे की पूजा करनी चाहिए। केले की जड़ का पानी दें। इसके अलावा शुक्रवार के दिन शुक्र मंत्र ॐ शुं शुक्राय नमः का जाप करें। शुक्र का शुभ प्रभाव संतान प्राप्ति में भी सौभाग्य लाता है।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। परिवार में खुशियां आती हैं। भगवान विष्णु का पीले फूलों से श्रृंगार करना चाहिए। श्रीहरि के मस्तक पर चंदन का तिलक लगाना अत्यंत प्रभावशाली होता है। इसके अकेले प्रयोग से मानसिक तनाव कम हो जाता है।
गेहूं और चावल का दान
अगर घर में कोई बीमार व्यक्ति या लड़का है तो पौष पुत्रदा एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु मंदिर में जाकर गेहूं या चावल चढ़ाएं। अब इस अन्न को मंदिर के ब्राह्मणों या मंदिर परिसर में मौजूद लोगों को दान कर दें। इससे आपके घर की समस्या दूर हो जाएगी।
पीपल और तुलसी की पूजा
अगर आप किसी पुरानी समस्या से जूझ रहे हैं और कोई समाधान नहीं मिल पा रहा है तो एकादशी की शाम को पीपल के पेड़ की पूजा करें। इससे कई वर्षों से चली आ रही समस्या खत्म हो जाएगी। अगर आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तो एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की जड़ में शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाएं और तुलसी की आरती करें। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। घी का दीपक जलाकर प्रणाम करें और अपने मन की इच्छा कहें, वह अवश्य पूरी होगी।
लड्डू गोपाल की पूजा
संतान प्राप्ति के लिए विवाहित जोड़ों को पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण की लड्डू गोपाल रूप में पूजा अवश्य करनी चाहिए। उन्हें लड्डुओं का भोग लगाएं। साथ ही तुलसी युक्त पंचामृत से स्नान कराएं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और प्रार्थना करने के बाद उनसे संतान के लिए प्रार्थना करें।
दक्षिणावर्ती शंख से पूजा
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन स्नान-ध्यान करके भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें, पीले वस्त्र पहनें और पीले फल, पीले फूल, धूप, दीप, अक्षत, सुपारी आदि लेकर जाएं। अगर आप समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी लक्ष्मी के साथ उनकी पूजा करें। इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का तेल से अभिषेक किया जाता है।
श्री नारायण के साथ माता लक्ष्मी की पूजा
ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन माता लक्ष्मी और भगवान श्री विष्णु का व्रत और पूजन करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और संतान को आशीर्वाद मिलता है। श्री विष्णु आपको दीर्घ, सुखी और सफल जीवन प्रदान करेंगे।
जो लोग इस एकादशी का व्रत करते हैं उन पर मां लक्ष्मी और नारायण की कृपा बनी रहती है। एकादशी पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत है। दंपतियों को संतान प्राप्ति के लिए पौष पुत्रदा एकादशी पर भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। उन्हें लड्डुओं का भोग लगाएं। आप तुलसी युक्त पंचामृत से भी भगवान नारायण को स्नान करा सकते हैं। भगवान कृष्ण की पूजा करके संतान प्राप्ति की प्रार्थना करने के बाद भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें।
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