बुधवार सप्ताह का वह दिन है जब भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त, हिंदू धार्मिक ग्रंथों में हर महीने भगवान गणेश को समर्पित दो चतुर्थी तिथियां होती हैं। मुख्य विनायक चतुर्थी भाद्रपद माह में आती है, परन्तु विनायक चतुर्थी हर माह आती है। भाद्रपद माह की विनायक चतुर्थी को “गणेश चतुर्थी” कहा जाता है। गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक बहुत ही शुभ त्योहार है, जो भारत सहित पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष 2024 का प्रारंभ हो चूका है और भगवान गणेश के भक्त अपने नव वर्ष की शुरूआत उनके भव्य पूजन से करना चाहते है और इसके लिए एक शुभ दिन की खोज में हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आज के लेख में हम आपको 14 जनवरी 2024 के दिन आने वाली विनायक चतुर्थी के बारे में बताने वाले हैं। इस लेख में आप पूजा का सही मूहूर्त, तिथि के बारे में जानेंगे। साथ ही आपको पूजा के महत्त्व, विधि एवं लाभ के विषय में भी जानकारी मिलेगी।
विनायक चतुर्थी का महत्त्व (Vinayaka Chaturthi Importance in Hindi)
विनायक चतुर्थी, जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश के महत्व का प्रतीक है, जो हिंदू देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय हैं। विनायक चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस व्रत को रखकर आस्थावान भगवान गणेश से अपनी मनोकामना की प्रार्थना करते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत हर महीने अमावस्या (शुक्ल पक्ष की चतुर्थी) के चौथे दिन मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं और धैर्य और बुद्धि की प्रार्थना करते हैं।
अगर आप अपने घर में गणपति की पूजा के लिए भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने के बारे में सोच रहे हैं तो यह बहुत ही शुभ दिन है। गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर मंत्रोच्चार और शास्त्रोक्त विधि से पूजा करने से भगवान गणेश सभी विघ्नों को दूर करते हैं और मंगलमूर्ति के रूप में भक्तों के जीवन में हर तरह की खुशियां लाते हैं।
पूजा की तिथि एवं मुहूर्त (Vinayaka Chaturthi Shubh Muhurat 2024)
इस बार वर्ष की पहली चतुर्थी तिथि पौष माह की रहेगी। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि होने के कारण यह विनायक चतुर्थी है। विनायक चतुर्थी का दिन जनवरी 14, 2024, रविवार है। इस दिन चतुर्थी तिथि का प्रारंभ सुबह 7 बजकर 59 मिनट से होगा और 15 जनवरी 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर तिथि समाप्त होगी।
इस दिन राहुकाल शाम 4:36 से 5:57 तक रहेगा तथा शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे:
अभिजीत मुहूर्त – 12:14 PM – 12:57 PM
अमृत काल – 01:35 AM – 03:02 AM
ब्रह्म मुहूर्त – 05:38 AM – 06:26 AM
ऐसे करें विनायक जी की पूजा (Vinayaka Chaturthi Puja Vidhi)
- सुबह सादे पानी से स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विनायक चतुर्थी की पूजा दोपहर में की जानी चाहिए।
- चौकी पर साफ लाल या पीले रंग का आसन रखें और उस पर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।
- स्थापना से पहले गणेश जी को पंचामृत और गंगा जल से स्नान कराएं।
- रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी रखें।
- स्थापना के बाद गणपति को जल और फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद रोली और अक्षत चढ़ाएं।
- लौंग, इलायची, पान, दूर्वा, मिठाइयाँ आदि श्रद्धानुसार अर्पित करें।
- मोदक या लड्डु आदि मिठाइयों का भोग लगायें ।
- भगवान गणेश की पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।
- पूजा पूरी करने के बाद आरती करें और पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए प्रार्थना करें।
- रात्रि के समय भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करें।
- विनायक चतुर्थी के व्रत में किसी प्रकार के अनाज का सेवन ना करें। विनायक चतुर्थी के दिन फल एवं जल का सेवन किया जा सकता है।
- शाम को चन्द्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद आप व्रत खोल सकते हैं।
- व्रत पारण के लिए शाम को आप साबूदाने की खिचड़ी, आलू और मूंगफली खा सकते हैं।
- यदि समाज और अपने कार्य क्षेत्र में ऐश्वर्य प्राप्त करना चाहते हैं तो भगवान गणेश को पान जरूर चढ़ाएं। ऐसा करना आपके सम्मान में वृद्धि कराएगा।
- भगवान गणेश को लौंग आर्पित करें क्योंकि नैवेद्यों में लौंग का भी विशेष महत्व है।
- भगवान गणेश की दो पत्नि सिद्ध और रिद्धि को माना जाता है और इन्हीं के रूप में भगवान के दोनों ओर दो सुपारियों को स्थापित किया जाता है। पूजा में गणेश जी के एक तरफ सिद्धि और दूसरी तरफ रिद्धि को स्थापित कर उन्हें कलावा चढ़ाएं।
- भगवान गणेश को दूर्वा घांस अवश्य अर्पित करें।
गणेश जी के मंत्र (Ganesh ji ke Mantra)
गणपति जी की पूजा में आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
- ॐ श्री गं गणपतये नम:
- ॐ गं गणपतये नम:- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
- ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
भगवान गणेश सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें एकदंत, गजानन, गणपति, लंबोदर, विघ्नहर्ता, विनायक आदि नामों से जाना जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां और संकट दूर हो जाते हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता देवता माना जाता है। भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है क्योंकि पूजा शुरू होने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। भगवान गणेश का आशीर्वाद अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस विनायक चतुर्थी पर आप भी भगवान गणेश की पूजा करें और पूरे साल को शुभ बनाएं।
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