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Satyanarayan Aarti Lyrics: जानिए सत्यनारायण भगवान की आरती के लिरिक्स, महत्व, और पाठ विधि

सत्यनारायण भगवान की आरती के लिरिक्स

Satyanarayan Aarti in Hindi: भगवान सत्यनारायण को भगवान विष्णु का स्वरुप माना जाता हैं। भगवान सत्यनारायण का यह स्वरुप सिर्फ सत्य का प्रतिनिधित्व करता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान सत्यनारायण की भक्तिपूर्वक पूजा करने से मनुष्य को सभी संकटों से छुटकारा मिल जाता है।

शास्त्रों के मुताबिक सत्यनारायण भगवान की पूजा और आरती करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सत्यनारायण भगवान की आरती करने से मनचाही मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आज हम आपको भगवान सत्यनारायण की आरती के लिरिक्स, महत्व, और पाठ विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

सत्यनाराण भगवान की आरती का महत्व (Satyanarayan ji ki Aarti Ka Mahatva)

शास्त्रों में भगवान सत्यनारायण की आरती को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। मायताओं के अनुसार जो मनुष्य पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान सत्यनारायण की पूजा और आरती करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि, सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से हजारों वर्ष किए गए यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

सत्यनारायण आरती लिरिक्स (Satyanarayan Aarti Lyrics)

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्‍‌न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।

नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो ।

बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।

चन्द्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही ।

सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण कीन्हीं, तिनको काज सरयो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयाल हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल, मेवा ।

धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

श्री सत्यनारायण जी की आरती, जो कोई नर गावै ।

ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति, सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

सत्यनारायण आरती पाठ विधि (Satyanarayan Aarti Path Vidhi)

सत्यनाराण भगवान की आरती के फायदे (Satyanarayan Ki Aarti Ke Fayde)

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