Jaya Parvati Vrat 2024 Date: जया पार्वती व्रत देवी पार्वती के विभिन्न रूपों में से एक देवी जया को समर्पित है। मुख्य रूप से जया पार्वती व्रत गुजरात में किया जाता है। अविवाहित कन्याओं के साथ-साथ विवाहित महिलाएं भी जया पार्वती का व्रत करती है। अगर कोई कुंवारी लड़की पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ जया पार्वती व्रत को करती है तो उसे मनपसंद जीवनसाथी प्राप्त होता है।
इसके अलावा अगर कोई विवाहित महिला जया पार्वती व्रत करती है तो उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखी रहता है। आज हम आपको जया पार्वती व्रत के महत्त्व और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
जया पार्वती व्रत कब है (Jaya Parvati Vrat Kab Hai)
हर साल आषाढ़ महीने में जया पार्वती व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत 19 जुलाई, शुक्रवार से शुरू होकर 24 जुलाई, बुधवार को समाप्त होगा। यह व्रत पाँच दिनों तक मनाया जाता है। जया पार्वती व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष त्रयोदशी से होकर पाँच दिनों बाद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को समाप्त होती है। शास्त्रों के मुताबिक जयापार्वती व्रत को पाँच, सात, नौ, ग्यारह तथा अधिकतम बीस वर्षों तक करना चाहिए।
जया पार्वती व्रत शुभ मुहूर्त (Jaya Parvati Vrat 2024 Date and Timings in Hindi)
हिन्दू पंचांग के अनुसार 18 जुलाई को रात 8:44 मिनट पर त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ होगी। इसकी समाप्ति 19 जुलाई की रात 07:41 होगी।
क्यों मनाया जाता है जया पार्वती व्रत (Kyun Manaya Jata Hai Jaya Parvati Vrat)
हमारे धर्म पुराणों में बताया गया है कि, जया पार्वती व्रत के दिन माता पार्वती व शिव की पूजा करने का नियम है। मान्यताओं के अनुसार अगर कोई महिला पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ जया पार्वती व्रत को करती है तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति का वरदान मिलता है। इसके अलावा इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
जया पार्वती व्रत का महत्व (Jaya Parvati Vrat Ka Mahatva)
शास्त्रों में जया पार्वती व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। इस व्रत को खास तौर पर से गुजरात राज्य और भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में किया जाता है। महिलाएं इस व्रत को अपने परिवार की समृद्धि, शांति, और कल्याण के लिए करती हैं। शास्त्रों के अनुसार व्रत के पांचवें दिन महिलाएं पूरी रात जागरण करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
पुराने ज़माने से ही महिलाएं पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ जया पार्वती व्रत करती आ रही हैं। मान्यताओं के अनुसार अगर कोई विवाहित महिला इस व्रत और पूजा को विधि-विधान के साथ करती है तो उसका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल रहने के साथ माता पार्वती की कृपा से उसे स्वस्थ बच्चों का भी आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
जया पार्वती व्रत कथा (Jaya Parvati Vrat Katha)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में एक संस्कारी ब्राह्मण परिवार ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। वामन नामक ब्राम्हण और उसकी पत्नी सत्या के जीवन में वैसे तो कोई कमी नहीं थी पर वो संतान ना होने के कारण बहुत दुखी रहते थे। दोनों पति-पत्नी हमेशा भगवान से संतान सुख प्राप्त करने के लिए प्रार्थना किया करते थे।
ब्राम्हण दंपत्ति की पूजा-पाठ से प्रसन्न होकर एक दिन नारद मुनि उनके घर पहुंचे। नारद मुनि को देखते ही ब्राम्हण दंपत्ति ने संतान प्राप्ति का कोई उपाय पुछा। तब नारद जी ने कहा कि अगर वो संतान प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने नगर के वन के दक्षिणी भाग में बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। ऐसा करने से उनकी मनोकामना अवश्य पूरी हो जाएगी।
नागद जी के कहे अनुसार वामन और उसकी पत्नी ने पूरे नियम के साथ बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की। 5 सालों तक लगातार ब्राम्हण दम्पत्ति शिव और पार्वती की पूजा करते रहे। एक दिन पूजा के लिए फूल तोड़ते समय वामन को सांप ने काट लिया। सांप काटने के कारण वामन की मृत्यु हो गई। जब वामन घर नहीं पहुंचा तो उसकी पत्नी उसे ढूंढते-ढूंढते जंगल आई। उसने अपने पति को मृत देखा तो वो बेहद रोने लगी। सत्या को रोता हुआ देखकर वन देवता और माता पार्वती वहां प्रकट हो गए।
माता पार्वती ने वामन के मुख में अमृत डाला जिससे वामन फौरन जीवित हो गया। माता पार्वती ने ब्राम्हण दंपत्ति से कहा, “मैं तुम्हारी भक्ति और आस्था से बहुत प्रसन्न हूँ। मुझसे कोई वरदान मांगो।” तब वामन और सत्या ने माता पार्वती को पुत्र प्राप्ति का वरदान मांग लिया। तब माता पार्वती ने ब्राम्हण दम्पत्ति को जया पार्वती व्रत के बारे में बताया।
माता पार्वती के कहे अनुसार वामन और सत्या ने पूरे विधि-विधान के साथ इस व्रत को किया। व्रत के प्रभाव से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। शास्त्रों के अनुसार जो भी महिला इस व्रत को करती है, उसे सदा सुहागन रहने के साथ का संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जया पार्वती पूजा विधि (Jaya Parvati Puja Vidhi)
- जया पार्वती व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत होने के पश्चात्त अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
- अब स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने घर के पूजा घर को साफ़ कर लें।
- अब बालू या रेत से एक हाथी का निर्माण करें। अब इस हाथी को अपने सामने एक लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें।
- अब 5 दिनों तक 5 तरह के फल, फूल और प्रसाद से इस हाथी का पूजा करें।
- इसके साथ ही माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की भी पूजा करें।
- व्रत के पहले दिन एक छोटे से पात्र में ज्वार/गेहूँ के दानों को बोकर पूजन स्थान पर रखें।
- लगातार पांच दिनों तक पूजा के दौरान इन ज्वार या गेहूँ के दानों को जल अर्पित करते रहें।
- व्रत के पारण के दिन पूरी रात जागरण करके माँ पार्वती की पूजा करें।
- अगले दिन सुबह पात्र से गेहूँ या ज्वार की बढ़ी हुई घास को पात्र से निकालकर नदी में प्रवाहित कर दें और उसके बाद अपना व्रत खोलें।
जया पार्वती व्रत के नियम (Jaya Parvati Vrat Ke Niyam)
- जया पार्वती व्रत के दौरान नमकीन भोजन का सेवन ना करें। शास्त्रों में पाँच दिनों की उपवास अवधि के दौरान नमक का सेवन पूरी तरह से वर्जित माना गया है।
- व्रत के पाँच दिनों के दौरान अनाज तथा सभी प्रकार की सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो महिला जया पार्वती व्रत करती है उसे व्रत के दौरान गेंहू से बनी किसी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
- शास्त्रों में बताया गया है कि, व्रत के पांच दिनों के दौरान सुहागिन महिलाओं को नमक और खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के दौरान महिलाएं फलों का सेवन कर सकती हैं।