Radha Rani Mandir Barsana: श्री कृष्ण की प्रेमिका राधा रानी का मंदिर मथुरा के बरसाने में स्थित है। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को ‘बरसाने की लाडली जी का मंदिर’ और ‘राधारानी महल’ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है। लाल और पीले रंग के पत्थरों से बना राधा जी का यह प्राचीन मंदिर मध्यकालीन है। राधा रानी का यह मंदिर लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक जाने के लिए भक्तों को सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। राधा को श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति एवं निकुंजेश्वरी माना जाता हैं। इसलिए राधा रानी के भक्त इस जगह को तीर्थस्थल मानते हैं।
इस लेख में हम राधा रानी बरसाना मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे। साथ ही हम जानेंगे राधा रानी मंदिर बरसाना का इतिहास, टाइमिंग, इत्यादि।
राधा रानी मंदिर बरसाना का इतिहास (Radha Rani Barsana Mandir Ka Itihas)
मान्यताओं के अनुसार लगभग 5000 साल पहले राजा वज्रनाभ (कृष्ण के परपोते) ने राधा रानी मंदिर की स्थापना की थी। ऐसा माना जाता है कि, मंदिर के खंडहर में बदलने के बाद प्रतीक नारायण भट्ट ने दोबारा इसकी खोज की।
राजा वीर सिंह ने 1675 ईस्वी में एक मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में, नारायण भट्ट ने राजा टोडरमल की मदद से मंदिर की वर्तमान संरचना बनवाई थी। टोडरमल अकबर के दरबार में एक राज्यपाल के रूप में कार्य करते थे।
राधा रानी के माता पिता का नाम कीर्ति और वृषभानु था। जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा रानी का जन्म हुआ था। इसलिए यहाँ के लोग बरसाना के राधा रानी मंदिर को बहुत महत्वपूर्ण मानते है। बरसाने के राधा रानी मंदिर में राधाष्टमी का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। राधाष्टमी के दिन राधा रानी के मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। इसके अलावा राधाष्टमी के दिन राधा रानी को छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
राधा रानी मंदिर बरसाना से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Radha Rani Mandir Barsana)

- बरसाने की पहाड़ियों के पत्थरों का रंग श्याम तथा गौरवर्ण का है, जिसकी वजह से यहां के लोग इन्हे कृष्णा तथा राधा के अमर प्रेम का प्रतीक मानते हैं।
- यहां भाद्रपद शुक्ल अष्टमी (राधाष्टमी) से चतुर्दशी तक मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा फाल्गुन शुक्ल अष्टमी, नवमी एवं दशमी को आकर्षक लीला का आयोजन किया जाता है।
- लाल बलुआ पत्थर से बने राधा रानी मंदिर के अंदर की दीवारों और छत पर जटिल हाथ की नक्काशी, सुंदर मेहराब, गुंबद और उत्तम चित्र बनाये गए हैं।
- राधा रानी मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के नीचे राधा रानी के पिता वृषभानु महाराज का महल बनाया गया है। इस महल में वृषभानु महाराज, कीर्तिदा (राधा की माँ), श्रीदामा (राधा की सहोदर) और श्री राधिका की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
- राधा रानी महल के नज़दीक एक ब्रह्मा जी का मंदिर भी बनाया गया है। इसके साथ ही मंदिर के करीब अष्टसखी मंदिर मौजूद है। अष्टसखी मंदिर में राधा और उनकी प्रमुख सखियों का पूजन किया जाता है।
- ऊँचे पहाड़ों पर मौजूद राधा रानी के मंदिर पूरे बरसाना का नज़ारा देखा जा सकता है।
कहाँ स्थित है राधा रानी मंदिर बरसाना (Kahan Sthit Hai Radha Rani Mandir Barsana)
राधा रानी का खूबसूरत मंदिर बरसाने के बीचों-बीच एक पहाड़ी पर मौजूद है।
कैसे पहुंचे राधा रानी बरसाना मंदिर (Kaise Pahunche Radha Rani Mandir Barsana)
बरसाना जाने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा रेलवे स्टेशन है। ये रेलवे स्टेशन राधा रानी मंदिर से लगभग 50.7 किमी दूर है। बरसाना जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो राधा रानी मंदिर से करीब 150 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा राधा रानी मंदिर से लगभग 110 किमी की दूरी पर आगरा का पंडित दीन दयाल उपाध्याय हवाई अड्डा मौजूद है।
राधा रानी मंदिर बरसाना टाइमिंग (Radha Rani Mandir Barsana Timings in Hindi)
गर्मियों के मौसम में बरसाने की राधा रानी के मंदिर में सुबह 05:00 बजे से दोपहर 02:00 बजे तक और शाम 05:00 बजे से 09:00 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
इसके अलावा ठण्ड के मौसम में सुबह 05:30 बजे से दोपहर 02:00 बजे तक और शाम 05:00 बजे से शाम 08:30 बजे तक दर्शन किये जा सकते हैं।
राधा रानी मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं?
भक्तों को राधा रानी मंदिर में दर्शन करने के लिए 250 सीढियां चढ़नी पड़ती हैं।