हमारे शास्त्रों में बृहस्पतिवार के दिन को बृहस्पति देव को समर्पित किया गया है। शास्त्रों के मुताबिक आरती किये बिना गुरु बृहस्पति देव की पूजा पूरी नहीं होती है। मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ बृहस्पतिवार के दिन पूजा और आरती करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि बृहस्पतिवार के दिन पूजा और आरती करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति के विवाह में दिक्कत आ रही है तो बृहस्पति देव की पूजा और आरती करने से लाभ मिलता है। शास्त्रों में बृहस्पति देव को बुद्धि का देवता माना गया है। आज हम आपको बृहस्पति देव जी की आरती और उसके महत्त्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
श्री ब्रहस्पति देव की आरती का महत्व (Brihaspati Dev Aarti Ka Mahatva)
बृहस्पति देव को देवताओं का गुरु माना जाता है। शास्त्रों में बृहस्पतिवार के व्रत, पूजा, और आरती को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। बृहस्पतिवार के दिन पूरे विधि विधान से बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए। बृहस्पति देव की पूजा में पीली वस्तुएं जैसे – पीले फूल, हल्दी, पीली मिठाई, चन्ने की दाल, मुनक्का, पीले चावल, इत्यादि, का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसके अलावा बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति देव के साथ-साथ केले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। बृहस्पति देव अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में सुख शांति लाने के साथ अपनी सभी मनोकामनाएं को पूरा करना चाहते हैं तो पूरे विधि विधान के श्री बृहस्पति देव की आरती कर सकते हैं।
बृहस्पति देव आरती (Brihaspati Dev Aarti Lyrics in Hindi)
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
बृहस्पति देव आरती पाठ विधि (Brihaspati Dev Aarti Path Vidhi)
- बृहस्पतिवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत्त होने के पश्चात स्नान करके पीले रंग के वस्त्र पहन लेँ।
- अब भगवान बृहस्पति देव का ध्यान करते हुए पूरे नियम के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
- अब पूरे विधि विधान के साथ बृहस्पति देव का पूजन करें।
- बृहस्पतिदेव को पीले फूल, पीले चंदन के साथ पीले रंग का प्रसाद चढ़ाएं।
- आप भोग के रूप में चने की दाल और गुड़ भी चढ़ा सकते है।
- अब धूप, दीप, आदि जलाकर बृहस्पति देव के व्रत कथा पढ़े या सुनें।
- अंत में विधिवत तरीके से बृहस्पतिदेव की आरती करें।
- पूजा और आरती के बाद भगवान से अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा मांग लें।
- इसके बाद केले की जड़ में जल अर्पित करके भोग लगाएं।
- दिनभर व्रत करके सिर्फ फलाहार करें और संध्याकाल में पीले रंग का भोजन ग्रहण कर लें।
बृहस्पतिदेव की आरती के फायदे (Brihaspati Dev Ki Aarti Ke Fayde)
- सुख-सौभाग्य में वृद्धि लाने के लिए श्री ब्रहस्पति देव की पूजा और आरती करें।
- श्री ब्रहस्पति देव की पूजा और आरती करने से सिद्धि-बुद्धि, ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है।
- अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से बृहस्पतिदेव की पूजा और आरती करता है तो उसके सारे कष्टों का अंत होता है और उसे अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
- बृहस्पतिदेव की पूजा और आरती करने से मनुष्य को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
- करियर और कारोबार को नया आयाम हासिल करने के लिए बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पतिदेव की पूजा और आरती करना लाभकारी होता है।
- अगर अप्पकी कुंडली में गुरु कमजोर है, तो आप बृहस्पतिदेव की पूजा व्रत और आरती करें।
- बृहस्पतिदेव का व्रत पूजा और आरती करने से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।