गौतम बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। इतिहास के मुताबिक 563-483 ई.पू. के मध्य महात्मा गौतम बुद्ध का जीवन काल माना गया है। ज़्यादातर लोगों के अनुसार महात्मा बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। भगवान बुद्ध ने लोगों को धर्म, अहिंसा, सद्भाव और दया का रास्ता दिखाया। जब गौतम बुद्ध की उम्र 30 साल थी तब उन्होंने तपस्या करने के लिए अपने समस्त राजसी भोगों का त्याग कर दिया था।
बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Buddha Purnima Shubh Muhurat)
हिन्दू पंचांग के मुताबिक इस बार बुद्ध पूर्णिमा 22 मई बुधवार को शाम 6:47 मिनट से शुरू होकर 23 मई गुरुवार के दिन शाम को 7:22 मिनट पर समाप्त होगी।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व (Buddha Purnima ka Mahatav)
जो लोग भगवान बुद्ध को मानते हैं वो इस दिन उनकी पूजा करने के साथ साथ उनके उपदेश भी सुनते हैं। गौतम बुद्ध की मृत्यु उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुई थी। मृत्यु के समय गौतम बुद्ध की आयु 80 वर्ष थी। महात्मा बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इसीलिए बौद्ध धर्म के लोगों के लिए ये जगह सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इसके अलावा कुशीनगर, लुंबिनी और सारनाथ को भी बौद्ध धर्म के अनुयायी तीर्थ स्थल के रूप में मानते हैं। गौतम बुद्ध ने सर्वप्रथम लोगों को सारनाथ में धर्म की शिक्षा प्रदान की थी।
बुद्ध पूर्णिमा पूजन विधि (Buddha Purnima Poojan Vidhi)
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन अपने घर के पूजा घर में भगवान् विष्णु और भगवान बुद्ध के समक्ष दीपक जलाएं। मान्यताओं के अनुसार भगवान् विष्णु ने गौतम बुद्ध के रूप में धरती पर अपना नौवां अवतार लिया था।
- इस दिन अपने पूरे घर में फूलों की सजावट करें।
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का निर्माण करें।
- इस दिन अपने पूरे घर को गंगाजल छिड़क कर घर को शुद्ध करें।
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधिवृक्ष के नीचे दीपक प्रज्वलित करें और पेड़ की जड़ में दूध और फूल चढ़ाएं।
- इस दिन गरीबों को भोजन करवाना और कपड़े दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन संध्याकाल में उगते चंद्रमा को जल चढ़ायें।
- शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन अगर कोई व्यक्ति एक कलश में जल भरकर चन्द्रमा को अर्ध्य देने के पश्चात् पकवान दान करता है तो उसे गौ दान करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन अपने घर में सत्यनारायण की पूजा करवाने के पश्चात् कथा सुने। रात के समय माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष कमल का फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से धन से जुडी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- इस दिन भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन करने के अलावा किसी का भी अपमान ना करें।
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है (Buddha Purnima Kyun Manayi Jati Hai)
बुद्ध पूर्णिमा के दिन आध्यात्म के गुरु माने जाने गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन महात्मा बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। बौद्ध धर्म में बुद्ध पूर्णिमा के त्यौहार को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध की मृत्यु भी हुई थी। बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म होने के अलावा उन्हें सत्य का ज्ञान भी प्राप्त हुआ था। इसके साथ ही इसी दिन गौतम बुद्ध को महापरिनिर्वाण भी प्राप्त हुआ था।
बुद्ध पूर्णिमा को ही कई सालों तक जंगल में कठोर तप करने के बाद बोधगया में बोधिवृक्ष नीचे महात्मा बुद्ध को सत्य के ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ज्ञान प्राप्त करने के बाद भगवान बुद्ध ने खीर पीकर ही अपने व्रत का पारण किया था। इसलिए इस दिन भगवान बुद्ध को खीर का भोग लगाया जाता है। भारत के साथ साथ अन्य कई देशों में भी बुद्ध पूर्णिमा के त्यौहार को बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग पूरी श्रृद्धा भाव के साथ भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं और उनसे ज्ञान और बुद्धि का वरदान मांगते हैं। विशेष रूप से बौद्ध धर्म में इस त्यौहार को बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है।
महात्मा बुद्ध के उपदेश (Mahatma Buddha ke Updesh)
- मनुष्य को हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलना चाहिए और हिंसा से दूर रहना चाहिए।
- आपको जितना मिला है उतने में ही संतुष्ट रहना चाहिए। ज़्यादा के लालच में कभी भी किसी गलत रास्ते पर नहीं चलना चाहिए।
- अपनी इंद्रियों को अपने वश में रखना चाहिए और कामुक सुखों से दूर रहना चाहिए।
- दूसरों के बारे में झूठ बोलने से बचना चाहिए और कभी भी गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कभी भी किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। नशा इंसान के दिमाग की सोचने समझने की शक्ति छीन लेता है।